मंगलवार, 2 नवंबर 2010

Hero of Bhopal

हिमालय और अमरदीप ने जगाई
पदक की उम्मीद


कहते है यदि हौसले बुलंद हो तो फिर लंगड़े भी पहाड़ लांघ जाते हैं। इन्हीं फौलादी इरादों के साथ तलवारबाजी में आज से लगभग 10 वर्ष पहले कदम रखने वाले राजधानी भोपाल की झुग्गी बस्तियों से आने वाले अमरदीप और हिमालय ने इसे सच कर दिखाया है। स्लम के ये सितारे भारतीय तलवारबाजी का भविष्य बनकर उभरे है। पिछली कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुके और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके इन दोनों खिलाड़ियों ने पहली बार कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर भविष्य में पदकों की उम्मीद जगा दी है।

                                   हिमालय विश्वकर्मा और अमरदीप बसेड़िया


किसी भी खिलाड़ी के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने से बड़ा कोई और लम्हा नहीं हो सकता। पिछले 10 वर्षों की तपस्या के बाद राजधानी भोपाल के दो होनहार खिलाड़ियों ने इस सपने को साकार कर दिखाया। ये दोनों खिलाड़ी हैं अमरदीप बसेड़िया और हिमालय विश्वकर्मा। इन दोनों ही खिलाड़ियों ने हाल ही में मेलबोर्न में संपन्न कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर भविष्य की उम्मीदों का आगाज कर दिया है। भारत को कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैंपियनशिप में पहली बार कोई पदक हासिल हुआ है।
इन दोनों ही खिलाड़ियों ने बचपन से एक साथ पढ़ाई की और खेलों के क्षेत्र में भी साथ-साथ कदम रखा। बिड़ला मंदिर के सामने की बस्ती में रहने वाले अमरदीप ने वर्ष 2000 से फेंसिंग का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। यही नहीं कुछ ही वर्षों में वे अपने साथ हिमालय को भी ले गए। इन दोनों खिलाड़ियों ने अपने मोहल्ले के अन्य बच्चों को भी इस खेल में आकर्षित किया। अब वहां से लगभग 10 बच्चें फेंसिंग सीखने स्टेडियम आते हैं। इन दोनों खिलाड़ियों ने अपने खेल के प्रति गंभीरता दिखाई और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।

मुफलिसी में बिताए दिन
एक समय था जब इन दोनों खिलाड़ियों ने बेहद तंगी से निकलते हुए अपने खेल में सफलता अर्जित की। अमरदीप पहले एथलीट बनना चाहते थे, लेकिन एक दिन अभ्यास में ही उनका एक हाथ फे्रक्चर हो गया। इसके बाद उन्होंने तलवारबाजी को अपना लिया। अमरदीप के पिता चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है, जबकि हिमालय अपने पिता के साथ उनके रोजमर्रा के काम में हाथ बंटाया करते थे। इन सबके बावजूद इन खिलाड़ियों ने कभी हिम्मत नहीं हारी और सफलता की सीढ़ियां चढ़ते चले गए।
अकादमी की सुविधाएं
कुछ वर्षों पहले खेल विभाग के पास भी तलवारबाजी के उपकरण नहीं थे। इससे खिलाड़ियों को भी प्रशिक्षण में दिक्कत होती थी। प्रदेश सरकार ने खेल विभाग का बजट बढ़ाया और नई योजनाओं के तहत मार्शल आर्ट्स अकादमी की स्थापना हुई। इस अकादमी के माध्यम से इन खिलाड़ियों को बेहतर उपकरण और उच्च स्तरीय प्रशिक्षण मिलने लगा। कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैंपियनशिप के चयन ट्रायल में हिमालय और अमरदीप में सर्विसेज के खिलाड़ियों को हराया था। सर्विसेज के खिलाड़ियों को विदेशी कोच द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा था।

गुरू भी कम नहीं

                                                  भूपेंद्र सिंह चौहान


इन दोनों ही खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण देने वाले भूपेंद्र सिंह चौहान अपने समय के धुरंधर खिलाड़ी रहे है। उन्होंने विश्व चैंपियनशिप और एशियन चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा दो दर्जन से अधिक राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। 1993 से खिलाड़ी के रूप में सफर शुरू करने वाले भूपेंद्र को राज्य शासन के सर्वोच्च ख्ोल पुरस्कार 2001 में एकलव्य और 2003 में विक्रम पुरस्कार दिया गया। लगभग एक दशक तक खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले भूपेंद्र ने 2004 में पटियाला से एनआईएस में डिप्लोमा किया। एनआईएस के आधार पर उन्हें स्टेडियम में ही खिलाड़ियों के प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी मिल गई। भूपेंद्र के प्रशिक्षण में अनुशासन और परिणाम के लिए सच्ची लगन होना शुमार है। इसके लिए वह खिलाड़ियों में प्रतिस्पर्धा पर हमेशा जोर देते आए हैं। भूपेंद्र भारतीय फेंसिंग महासंघ की ओर से पेरिस में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फेंसिंग डिप्लोमा के लिए चुने गए। 2007 में उन्होंने यह डिप्लोमा पूर्ण कर खिलाड़ियों को और भी बेहतर तरीके से तराशा। पिछले छह वर्षों में भूपेंद्र ने आठ अंतरराष्ट्रीय और लगभग 30 राष्ट्रीय खिलाड़ी इस विधा में भारत को दिए हैं। यही कारण है कि प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षक का विश्वामित्र अवार्ड उन्हें वर्ष 2009-2010 के लिए दिया गया।


अमरदीप की उपलब्धियां
2005    जूनियर वर्ल्ड कप, आॅस्ट्रेलिया    भागीदारी
2006    एशियन जूनियर चैंपियनशिप, कुवैत    भागीदारी
2006    जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप, कोरिया    भागीदारी
2009    जूनियर एशियन फेंसिंग चैंपियनशिप, सिंगापुर    भागीदारी
2009    जूनियर कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैंपियनशिप, मलेशिया    भागीदारी
2010    सीनियर कॉमनवेल्थ फेंंसिंग चैंपियनशिप, मेलबोर्न    रजत
(इसके अलावा राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दो स्वर्ण, छह रजत और पांच कांस्य जीते हैं)

हिमालय की उपलब्धियां
2006    जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप, चेन्नई    भागीदारी
2009    एशियन फेंसिंग चैंपियनशिप, दोहा    भागीदारी
2010    सीनियर कॉमनवेल्थ फेंंसिंग चैंपियनशिप, मेलबोर्न    रजत
(इसके अलावा राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में एक स्वर्ण और दो रजत पदक जीते हैं)


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