मंगलवार, 11 जनवरी 2011

आओ सुशील गुरु हो जाओ शुरू...

गुरुवार (छह जनवरी) शाम का सूरज ढलने को है। तात्या टोपे राज्य खेल परिसर के मार्शल आर्ट्स भवन में खिलाड़ियों का हुजूम अपने सितारे का इंतजार कर रहा है। कुछ ही देर में भारत का यह सितारा सभी के सामने था। विश्व चैंपियन पहलवान सुशील कुमार। अब गुरु सुशील।
चूंकि मप्र राज्य कुश्ती अकादमी के कोच और तकनीकी सलाहकार भी बने है। सुशील ने अपनी नई भूमिका का आगाज भी दमदार तरीके से किया। छोटे से सम्मान समारोह के बाद ही सुशील ने मंच से ही दांव पेंच सिखाने का शंखनाद कर दिया। माइक पर उसी हरियाणवी टोन में बोले ‘तैयार हो जाओ’। सुशील भी उतरे और बमुश्किल पांच मिनट में पहलवानों वाली किट में रिंग पर नजर आए। अकादमी के पुरुष और महिला पहलवानों के बीच रिंग पर सुशील थे। गुरु का काम शुरू हो गया। बोले, चलो थोड़ा वार्मअप हो जाए। वार्म अप बड़ा गजब का था। देखने वाले सुशील की चीते सी फूर्ति देखकर अचंभित थे। ऐसे ही सुशील विश्व चैंपियन नहीं है। वह जानते हैं सेकेंड के सौंवें हिस्से में पदक फिसल सकता है। दो मिनट बाद सुशील ने पहला दांव बताया। ऐसे कमर में हाथ डालो और यूं टंगड़ी अंटी लगाकर चित कर दो। सुशील ने कहा, समझ आया, जिसे समझ नहीं आया फिर पूछ लो...।  फिर बताया और पांच-पांच बार अभ्यास के लिए सभी को भिड़ा दिया। सुशील कोई आराम नहीं कर रहे थे, अपने साथी के साथ तकनीक पर पकड़ बना रहे थे। गुरु सुशील के प्रशिक्षण का सिलसिला चलते ही रहा। फिर विरोधी को चारो खाने चित करने की नई तकनीक बताई। सुशील बोले, देखा...। किस-किस की समझ आया? हाथ खड़े करो। कुछ ने किए, कुछ समझ नहीं पाए। गुरु ने पुकारा, आओ फिर समझाता हूं। दोबारा दांव को समझाया। अब फिर पांच-पांच बार अभ्यास में जुट गए पहलवान। खिलाड़ियों के चेहरे पर इस प्रशिक्षण का ओज स्पष्ट देखा जा सकता था। बड़े खुश थे कि विश्व चैंपियन से दांव सीखने को मिल रहे हैं।
सुशील ने एक पहलवान को बुलाया। तुम करोगे। जी...। फिर उसकी ढीली डेÑस देखकर बोले ये ढीली क्यों है? उसने कहा दूसरे की पहनी है। गुरुजी बोले कोई बात नहीं, फिट होना चाहिए। फिर उसे एक खिलाड़ी के साथ भिड़ाकर  बताया अगला दांव। लगभग 45 मिनट के इस प्रशिक्षण से सुशील कुमार तरोताजा हुए, वहीं अकादमी के युवा पहलवानों के चेहरे पर किसी चैंपियन से कम चमक नहीं थी।     

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