सोमवार, 10 दिसंबर 2018

ओ रोमांचक @15days


अचरज नहीं करना। शीर्षक @15 days कुल समयावधि है। इसमें से 10 दिन हमारी जिंदगी के सबसे खूबसूरत और रोमांचक दिन रहे। वे अविस्मरणीय है।
मैं अक्सर एक रोमांचक दौर से गुजरने के बारे में सोचता था। फिर, दोस्त वैभव गुप्ता, पीयूष मिश्रा, जीजा के साथ लगभग दो साल पहले प्लान बनाया। बाइक से लद्दाख होकर आते हैं। जुलाई में जाने का प्लान था। फिर मई में मुझे कमर में चोट लगी और एक दोस्त का ऑपरेशन हो गया। सारा प्लान धरा रह गया। इस प्लान को लेकर मेरे चचेरे भाई विशाल जैन से बात हुई थी। उन्होंने मुझे कुछ लिंक भेजकर वहां के बारे में बताया था। फिर डेढ़ साल बीत गया। इस बीच बड़े भाई चंद्रकांत जैन उर्फ चंदू दादा से भी इस बारे में बात होती रही। हम तीनों ही इस पर बात करते रहे। विशाल भाई बहुत बढिय़ा प्लानर है। 26 जनवरी को मैं और दादा मुंबई पहुंचे विशाल भैया के यहां। वहीं बैठकर पूरे प्लान को मूर्त रूप देने का निर्णय किया। विशाल भाई तब तक काफी तैयारी कर चुके थे। कुछ विडियो और राइड कराने वाली कंपनियों के बारे में पूरी जानकारी निकाल चुके थे। हमें सभी कुछ दिखाया। एक ऐसा विडियो भी दिखाया, जिसमें एक पति-पत्नी अकेले निकले थे और काफी परेशान हुए थे। तब हमने फाइनल किया कि जाएंगे तो किसी कंपनी के माध्यम से। राइड ऑफ माय लाइफ को हमने चुना। उनका टूर अगस्त में था। हमारे पास तैयारी के लिए लगभग 5-6 माह थे। दो दिन बाद ही हम लौट आए।
फिर चर्चाएं होती रही। मेरा जाना इसमें 90 फीसदी न के बराबर था। मेरे सामने सबसे ज्यादा परेशानी पैसों की थी। इस अद्भुत ऐहसास को महसूस करने के लिए कम से कम 75 हजार रुपए चाहिए थे। जो मुझे जानते हैं उन्हें पता है पिछले चार साल की लड़ाई के कारण ऐसा कदम उठाना खतरे से खाली नहीं था। फिर चंदू दादा ने बोला तू चिंता मत कर। लेकिन, प्लान कैंसिल नहीं होना चाहिए। उनके शब्दों ने हौसला बढ़ा दिया। वक्त के साथ ही रजिस्ट्रेशन भी हो गया। फिर एक दिन मित्र ललित कटारिया से बातचीत हुई। उसने भी साथ चलने की इच्छा जता दी। मैंने उसे पूरी जानकारी दी और तैयारी करने का बोला। जुलाई तक सारी औपचारिकताएं पूरी करके हम तैयार थे।
इस दौरान हमने पूरे टूर के कई विडियो देखे। कई कहानियां पढ़ी। कई जोखिम वाले रास्तों के बारे में सुना। फिर भी मन में एक ही राग था, चलना है। जो होगा देखा जाएगा। मैंने आखिरी तक मेरे बेटे के अलावा घर के किसी सदस्य को नहीं बताया कि मैं कहां जा रहा हूं। इन खतरनाक रास्तों के बारे में बताता तो शायद पिताजी मुझे अनुमति नहीं देते। फिर 11 अगस्त को ओ दिन आ गया, जब एक सपना साकार करने हम निकल पड़े।

मुस्कराइये आप रोमांचक सफर पर है...
क्रमश:...

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