शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018

ओ रोमांचक @15days, डे-3 (14 अगस्त, 2018) श्रीनगर से करगिल: 220 किमी

ओ रोमांचक @15days
डे-3 (14 अगस्त, 2018)
श्रीनगर से करगिल: 220 किमी









































सुबह सभी तैयार होकर हाउस बोट में नाश्ता कर रहे थे। एक नए रोमांच के सफर पर निकलने के लिए। कुछ ही देर में हमने हाउस बोट छोड़ा और अपनी-अपनी बाइक के पास पहुंच गए। टीम लीडर मनीष ने कमान संभाली और लगभग 9:00 बजे हम करगिल के लिए निकल गए। सफर का यह असल में पहला दिन था। पहले ही दिन हमें 220 किमी चलना था और इसमें भी झोजी ला पास को पार करना था। 
एक घंटे की राइड के बाद हम नेशनल हाइवे पर थे। कुछ ही देर में हम सिंधु नदी के किनारे मनोरम पहाड़ों के किनारे राइड कर रहे थे। लगभग 80 किमी चलने के बाद हम खूबसूरत सोनमर्ग पहुंच गए। यहां हरियाली और सुंदरता आकर्षित करती है। यहां हमने लंच किया। पराठे, दही और अचार। काफी ठंड थी और थोड़ी दूरी पर बालटाल भी, जहां से अमरनाथ यात्रा के लिए जाते हैं। लंच के बाद हम निकल पड़े। कुछ दूरी पर चलने के बाद पहाड़ी पर बाइक चलना शुरू हो गई। समझ आया कि ये झोजी ला पास है। झोजी ला की ऊंचाई समुद्रतल से 11500 फीट से अधिक है। बेहद धूल, कहीं कीचड़, कच्चे रास्ते, ट्रकों का ट्रेफिक भी। यह काफी रोमांच भरा और पहला अनुभव इस रोमांचक सफर का। झोजी ला पार करने के बाद हम सभी एक जगह रूके। चेहरों पर धूल जम गई थी। लेकिन, जोशीला अंदाज हमारे चेहरे पर खुशी के रूप में था। झोजी ला पास दुनिया के सबसे दुर्गम और ऊंचाई वाले रास्तों में से एक है। हमने एक-दूसरे को गले लगाया और आगे बढ़े। आगे भी रास्ते कहीं-कहीं धूल भरे थे।
यहां से लगभग 40 किमी चलने के बाद हम उस जगह पहुंच गए जो कारगिल के शूरवीरों की गाथा बयां करता है। जी हां, द्रास सेक्टर। यहां भारतीय सेना ने 1999 के करगिल युद्ध में शहीद जवानों की याद में करगिल वार मेमोरियल बनाया है। यहां हमारी आन, बान और शान का प्रतीक देश का तिरंगा दूर से ही लहराता हुआ दिखाई देता है। यहां रखी बोफोर्स तोप, अमर जवान ज्योति, वीर भूमि, शहीदों के बारे में जानकारी, आॅपरेशन विजय और शहादत पर पूरे युद्ध कौशल की जानकारी आंखों को भीगा देती है। हमारे लिए आजादी बेहद मामूली है। लेकिन, वास्तविकता टाइगर हिल की पहाड़ी की ऊंचाई और दुर्गमता को देखकर पता चलती है। द्रास की इन पहाड़ियों के पीछे ही एक नदी है और उसके बाद पाकिस्तान की सीमा, जैसा वहां मौजूद कुछ लोगों ने बताया। हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे बड़े भाई श्री अखिलेश जैन आॅपरेशन विजय का हिस्सा रहे है। 100 सैल्यूट आपको दादा। यहां हमने लगभग 45 मिनट गुजारे और करगिल के लिए निकल पड़े। हमने यहां की याद को अपने साथ लिया और निकल पड़े।
लगभग 25 किमी चलने के बाद मेरे मित्र ललित को पता चला कि उसका मोबाइल कहीं गिर गया है। फिर उसे याद आया कि द्रास सेक्टर में ही कहीं गिरा है। मैं और ललित द्रास की ओर वापस हुए।  2-3 किमी चलने के बाद एक सेना का ट्रक ठीक हो रहा था। उनसे बात की तो उन्होंने कहा- वापस मत जाओ। 5-6 किमी आगे सेना का कैंप है। वहां से द्रास में बात करो। हम वहां पहुंचे। कुछ ही देर में बात हुई। उन्होंने थोड़ी देर इंतजार करने को कहा। हम वहीं रूके रहे। थोड़ी देर बाद फिर बात हुई तो मोबाइल का पता नहीं चला। फिर उन्होंने अपना नंबर दिया और हमार नंबर लिया। अनमने मन से हम करगिल की ओर बढ़े। गाड़ी का पेट्रोल खत्म होने का संकेत दे रहा था। सभी आगे जा चुके थे। फिर हमने चंदू दादा से बात की। उन्हें बताया कि पेट्रोल खत्म होने वाला है। उन्होंने हमारी गाड़िय़ों के डॉक्टर उर्फ इमरान भाई से बात कराई। बोले- 5-6 किमी आगे ही पेट्रोल पंप है और हम भी यहीं खड़े हैं। हम पहुंच गए। टैंक फुल कराया और होटल पहुंचे। लगभग अंधेरा होने ही वाला था। कमरे में पहुंचे।
दोस्त का मन नहीं लग रहा था। फिर सोचा पुलिस में शिकायत कर देते हैं। 2 किमी पर थाना था। हम वहां पहुंचे तो वे लोग डिनर कर रहे थे। थोड़ी देर इंतजार के बाद उन्होंने हमारी बात सुनी और कहा कि दूसरे थाने में शिकायत दर्ज होगी। हम दूसरे थाने गए तो वहां के हवलदार ने हमें यह कहते हुए जाने को कहा कि थाना बंद हो गया। पहली बार सुना थाना भी बंद होता है। चूंकि, अगला दिन स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ का था, इसलिए कड़ी चौकसी में सारे पुलिसकर्मी लगे हुए थे। हम वापस लौटे। भरे मन से डिनर किया। फिर कमरे में गए। ललित बोला सुबह द्रास जाउंगा। सोते-सोते और बतियाते रात के 1:00 बज गए।

मुस्कराइये आप करगिल में है...
क्रमश: ...
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